Saturday, May 16, 2009

सामने आ जावो

चकोर तो मैं हु ही , तुम चाँद बन जावो

शाम ढलने वाली है, तुम रात बन जावो

बाग तो मैं हु , तुम फूल बन जावो

सुबह होने वाली है, अब खूसबू बन के फिजा मैं बिखर जावो

ज़िन्दगी तो मैं हु ही, तुम खुशी बन जावो

इतनी गुमसूम सी क्यों बैठी हो अब थोदा मुश्कुरावो

कवि तो मैं हु, तुम मेरी कविता बन जावो

कब तक इन chando और लबसों में बंधी रहोगी

इनसे निकल के सामने आ जावो .................