Saturday, April 4, 2009

रात और उजाला

कोई बताये मुझे ये रात इतनी काली क्यों है,


महफिल में हु फिर भी ये जिंदगी इतनी खाली क्यों है !


रोशिनी उजाला पहलु है जो अदब के


रात है तो उजाला तुम करो


जिंदगी है लम्बी दो कदम तुम भी चलो


रात है थोडी साथ दे दो बात है अधूरी आवाज दे दो


तुम्शे मिलाने की तमन्ना लिए जिंदगी बिताते चले


साथ दो पल का मिलेगा यही सोचकर .......


No comments: